महाबोधि विहार में बिहार के मुख्यमंत्री व राज्यपाल और देश के प्रधानमंत्री गुनहगार

ब्यूरो संवाददाता- कुमार रवि सिंह

इटावा के राजपुर चंबल घाटी मे एक दिवासीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।जिसमे बसपा संस्थापक मान्यवर स्व० कांशीराम‌ साहब का 91वां जन्मदिन उनके अनुयायियो ने मनाया! महेश चंद बौद्ध कथा वाचक के द्वारा संगीत के माध्यम से दबे कुचले शोषित बहुजन समाज को महापुरुषों की प्रेरणा लेकर चलने को जागृत किया।

चंबल घाटी के राजपुर गांव में प्रथम बार महाबोधि बिहार से चलकर बौद्ध भिक्षु भन्ते विनाचार्य जी पहुंचे ।कार्यक्रम में महापुरुषों पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया । भन्ते विनाचार्य बोले कि कांशीराम साहब ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने केवल किसी विशेष जाति व दलित समुदाय का नहीं बल्कि भारत में एक ऐसा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन शुरू किया। जिस आंदोलन के बाद भारत आज जिन लोगों को राजनीति का एक अक्षर नहीं आता था,आज वह लोग अच्छे बड़े नेता बन गए।

काशीराम के पांच बड़े जीवन के संकल्प उद्देश्य:-

कांशीराम साहब के पांच जीवन के उद्देश्य थे वह कहते थे मनुष्य अपने जीवन को समाज के लिए नोछावर करता है।तो उस व्यक्ति के जीवन में पांच बड़े उद्देश्य होना चाहिए पहला उद्देश्य जीवन भर अविवाहित रहकर समाज की सेवा करना, दूसरा संकल्प अपने घर परिवार से कोई संबंध रिश्ता नहीं रखना समाज का उतना ही व्यक्ति खास और जिम्मेदार है जितना कि संसार के सभी लोग हैं। तीसरा व्यर्थ की किसी भी शादी समारोह सामाजिक फंक्शन में नहीं जाऊंगा जहां केवल दावत खिलाने के लिए बुलाया जाता है। मेरा जाना केवल मोमेंट उद्देश्य आंदोलन सामाजिक परिवर्तन होना चाहिए!चौथा उद्देश्य था कि मे इस आंदोलन में कोई भी निजी स्वार्थ के लिए कोई निजी संपत्ति नहीं बनाऊंगा निजी जीवन को नहीं जिऊंगा मेरा पूरा जीवन सार्वजनिक होगा! समाज के सामने होगा। पांचवा उद्देश्य था। कि इस आंदोलन की कड़ी में वह लोग होंगे जो लोग इस आंदोलन में परिवार रिश्तेदार नहीं होगा इस पांच संकल्प के कारण ही काशीराम को साहब बनना पड़ा। देखते ही देखते बहुजन समाज पार्टी विश्व की तीसरी पार्टी बना दिया।

महाबोधि बिहार के मंदिर पर बौद्ध भिक्षुओं को बुद्ध की धरती नसीब नहीं है? विदेश में देश के प्रधानमंत्री बौद्ध की धरती से बताते हैं? जिस पर भन्ते विनाचार्य बोले कि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की गलती नहीं है गलती देश की जनता की है और बहुजन समाज के उन नेताओं की जो सोशल मूवमेंट चलने वाले या कहे तो बौद्धों की गलती है! वह गलती इसलिए है! क्योंकि आंदोलन आज यह खड़ा नहीं हुआ है! इस आंदोलन को इसे चलाते हुए करीब 132 साल हो गए हैं! धर्मपाल श्रीलंका से चलकर भारत आए तब उन्होने यह मांग उठानी शुरु की थी। महाबोधि बिहार बौद्ध भिक्षुओ का बौद्ध विहार है। सम्राट अशोक ने इसकी न्यू रखी थी। इस न्यू के बाद इसका धीरे-धीरे डेवलपमेंट हुआ। बिहार की सरकारों ने एक्ट लाकर बौद्ध विहार में हिन्दु लोगों को बैठा दिया। हिंदू के पास गीता के हिसाब से उनके पास मंदिर है। राम के मंदिर बने हैं जितने देवी देवताओं के मंदिर हैं वह उनके पास है चार धाम उनके पास है। महाबोधि बिहार बौद्ध भिक्षुओ का तीर्थ स्थल है। बुद्ध की शिक्षा बौद्ध भिक्षु जानते हैं। बौद्ध भिक्षु ही उसे चला सकते हैं। इसमें जानबूझकर एक्ट लाकर विवाद पैदा किया गया।इस एक्ट में चार हिंदू और चार बौद्ध भिक्षु और अध्यक्ष जिला मजिस्ट्रेट होगा। महाबोधि विहार को ना की जिला मजिस्ट्रेट और हिंदू चला सकते !महाबोधि बिहार को सही दिशा में चलाने के लिए बौद्ध भिक्षु ही चला सकते हैं।जिन्हें उसका पूरा ज्ञान है।लेकिन ऐसे लोगों के हाथों में बौद्ध विहार की बागडोर दे दी गई है! जो उसकी संपत्ति को अपने अन्य स्थानों में उपयोग कर रहे हैं। बौद्ध के विचार भारत की आजादी के पहले भी बताये जा रहे थे और भारत आजाद होने के बाद भी बताया जा रहे है 75 साल हो गई है 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। महाबोधि बिहार में अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन किया गया है। उसकी अवहेलना की गयी क्योंकि धार्मिक सामान्यतः देता है! इसकी बौद्ध भिक्षुओ को नहीं मिली है! तो अनुच्छेद का उल्लंघन हुआ है। अब मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से यह कहना है कि अपने संविधान का पालन नहीं किया है। इसका मतलब यह है! कि बिहार का मुख्यमंत्री और राज्यपाल देश के प्रधानमंत्री तीनों लोग गुनहगार हैं! संविधान के तहत उनको सजा मिलनी चाहिए? सजा के साथ-साथ ऐसा प्रस्ताव होना चाहिए जो कि आजादी के बाद से महाबोध बिहार का 75 साल का जो फंड आया है! इस फंड का कहां-कहां उपयोग किया है। ना तो कोई बौद्ध के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज नही बनाई गयी है। बौद्ध बिहार के नाम पर जो अरबों फंड आया है वह गया कहां है। उन लोगों ने बौद्ध बिहार के फंड को ऐसी जगह लगाया है जहां देश के लोगों को गुलाम बनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान भंन्ते धम्म विजय, उदल सिंह पूर्व दरोगा, लाल दास, शिव शंकर, गेंदालाल बौद्ध ,छोटेलाल, पंकज, सुरेश, नितिन ,विनोद दोहरे पूर्व चेयरमैन, दिनेश चंद, अंतराम, डॉ धर्मेंद्र कुमार, नितिन कुमार, पूर्व प्रधान बृजेश कुमार दोहरे, देशराज पटेरिया, शिलदित्य, अरुण कुमार, प्रदीप कुमार, बालवीर, हकीम, सुजाता बौद्ध, अंजू गौतम, लक्ष्मी बौद्ध, भारत सिंह, कार्यक्रम का संचालन राज नारायण बौद्ध ने किया।

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